मध्यप्रदेश सरकार MSP पर मूंग खरीदी कर रही है जिसमें लगातार अनियमिताएं देखने को मिल रही है , बरसात के इस मौसम में जहां दिन रात पानी गिर रहा है वहां मूंग खरीदी केंद्र पर किसानों के लिए साफ पानी कि व्यस्था अनेक केंद्रों पर नहीं कि गई है।
तुलाई उपकरण कि कमी
मूंग खरीदी केंद्र पर जितने किसानों का रजिस्ट्रेशन हैं , उतने तुलाई के साधन और लेबर कि व्यस्था न होने के कारण मूंग खरीदी में समय लग रहा है जिससे किसानों के ट्रैक्टर कि लाइन किलोमीटर में बढ़ती ही जा रहे है। रजिस्ट्रेशन के हिसाब से गोदाम और काटे कि व्यवस्था नहीं कराई गई है जिससे और कर्मचारी दोनों परेशान हो रहे है ऊपर से सभी केंद्र पर ग्रेडर कि व्यवस्था भी होना जरुरी था पर ग्रेडर पर भी लाइन बढ़ती जा रही है।
मूंग कि बंपर पैदावार
हर साल से इस साल मूंग का उत्पादन अच्छा देखने को मिला है लेकिन सरकार ने इससे कोई सबक लिए बिना केंद्र और उपकरण को नहीं बढ़ाया जिससे यह परेशानी देखने को मिल रही है। पहले सरकार मूंग खरीदी को टालती रही और फिर बिना उत्पादन का अंदाजा लगाए मूंग खरीदी चालु कर दी जिससे किसान को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
वारदाना और टैग समय पर केंद्र न पहुंचना
बहुत से केंद्रों पर वारदाना और सिलाई के लिए टैग और मशीनों का उचित इंजाम नहीं है और कही पर जल्दी सिलाई मशीन खराब हो रहे है जिससे समय बढ़ रहा है। समिति के पास कोई भी सामान स्पेयर में नहीं है अगर कोई मशीन खराब हो जाती है तो जब तक वह सही होकर नहीं आ जाती तब तक कम अटका रहता है।
साल में तीन से चार उपार्जन फिर भी वही समस्या
राज्य सरकार साल में तीन से चार बार खरीदी करती है पर व्यस्था में सुधार नहीं आ रहा है , कुछ हि महीने पहले सरकार ने गेहूं , मसूर जैसी फसलों का उपार्जन किया था पर वही खामी मूंग कि खरीदी में भी देखने को मिल रही है। न जाने कितने सालों से यह काम ऐसे ही चल रहा है और सरकार ऐसे ही चलने देना चाहती है।
उचित मूल्य
अनेक अनियमिताएं के बाद भी किसान को उचित मूल्य मिल रहा जिसके लिए किसान इतना परेशान हो रहा है। किसान कि मूंग तुलने के बाद कही कही 4- 5 दिन तो कहीं 20 से 25 दिन में पैसा खाते में आ रहा है।